पिता - A poetry dedicated to father...
A Poetry dedicated to father...
पता है उसे कि
एक दिन यह सुनने को मिलेगा की
तूने किया ही क्या है मेरे लिए
मगर, फिर भी वो तुम्हारी
ख्वाहिशों के खातिर अपनी
हर ख्वाहिशें छोड़ देगा
तुम्हारी खुशी के खातिर
अपने सारे सपने तोड़ देगा
मगर,
"पिता" जब नही होगा पास तुम्हारे
तो तुम्हे पता लगेगा
क्या क्या कर गया वो तुम्हारे लिए
Pata hai use ki
Ek din yeh sunne ko milega ki
Tune kiya hi kya hai mere liye
Magar, phir bhi vo tumhari
Khwahishon ke khatir apni
Har khwahishein chhod dega
Tumhari khushi ke khatir
Apne saare spane tod dega
Magar,
"Pita" jab nahi hoga paas tumhare
To tumhe pata lagega
Kya kya kar gaya vo tumhare liye
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